मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर के सांसद सपा नेता हरेन्द्र मलिक भी सपा के उस प्रतिनिधि मंडल में शामिल थे, जिसने संभल जाना था। वे अपने दिल्ली स्थित सरकारी आवास से जाने के लिए निकले, पर उन्हें कुछ ही दूरी पर पुलिस ने उन्हें रोक लिया और जाने नहीं दिया। रोके जाने को लेकर हरेन्द्र मलिक ने गलत परंपरा करार दिया। बताते चलें कि बीते रविवार को संभल में जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर बवाल हो गया था। बवाल में पांच लोगों की गोली लगने से मौत हो गई थी। इस बवाल के बाद राज्यपाल ने इस प्रकरण की न्यायिक जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच आयोग का गठन भी किया था। ये आयोग दो महीने में अपनी जांच रिर्पोट सौंपेगा। इस बीच शनिवार को सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने सपा के एक प्रतिनिधि मंडल को संभल का सच जानने के लिये भेजने की घोषणा की। इस प्रतिनिधि मंडल में विधान सभा के सभापति माता प्रसाद पांडे के नेतृत्व में सपा के दस वरिष्ठ नेताओं को जाना था। इस प्रतिनिधि मंडल में मुजफ्फरनगर के सांसद हरेन्द्र मलिक भी शामिल थे। शनिवार को सांसद हरेन्द्र मलिक दिल्ली स्थित अपने सरकारी आवास से संभल जाने के लिए निकले। जैसे ही वे यूपी बॉर्डर पर पहुंचे तो यहां तैनात पुलिस बल ने उन्हें रोक लिया। यहां जब मीडिया कर्मियों ने उनसे बात की तो उन्होंने इसे गलत परंपरा बताते हुए कहा कि जब एक सांसद अपनी मर्जी से कहीं नहीं जा सकता तो एक आम आदमी की क्या बिसात है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग से होकर क्या कोई नहीं जा सकता। इसके अलावा उन्होंने कहा कि अगर वे सांसद न भी हों तो प्रदेश के एक वरिष्ठ नागरिक तो हैं ही। ऐसे में उन्हें क्यों रोका जा रहा है। उन्होंने रोके जाने को बेहद आपत्तिजनक बताया। उन्होंने कहा कि अच्छा होता कि कोई गाइड लाइन जारी की जाती और शर्तों के साथ उन्हें जाने दिया जाता, फिर चाहे उनके जाने के दौरान एक-एक गतिविधि की वीडियोग्राफी करा ली जाती।